किसान आंदोलन आज पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है l किसान आंदोलन या फिर यूँ कहे की हिंसा आंदोलन जिस प्रकार इस आंदोलन ने भारत देश की छवि को ख़राब किया है वो चिंता का विषय बन गया है l किसान आंदोलन महज आंदोलन नहीं रह गया है बल्कि यह अब खालिस्तान समर्थको का गढ़ बन गया है l जिस प्रकार इसके समर्थन में पोर्न स्टार( जो अपना जिस्म बेच सकता है उसके लिए देश बेचना कौन-सी बड़ी बात है मेरे कहने का तात्पर्य पैसे के लिए बेचने से है ना की मज़बूरी से ) सिंगर (फूहड़ता जिनका गहना है उनका दुसरो के लिए कहना है अर्थात 18 करोड़ लेकर कौन सी हमदर्दी होती है इतनी हमदर्दी होती है तो अपने शो का 90 प्रतिशत हिस्सा किसानो के लिए क्यों नहीं देते मेरा तात्पर्य अश्लील गाने वालो से है ना की अच्छे गाने वालो से ) और तथाकथित एनजीओ(एनजीओ जिन्हे हम इच्छाधारी सांप भी कह सकते है जो मौका देखते है की कब मौका मिले और डस ले इन्हे सांप कहना भी सांपो को बुरा कहना है मानता हूँ की कुछ एनजीओ अच्छे भी है लेकिन वो कहाँ है ) की भुमिका निकलकर सामने आ रही है इससे तो यही लगता है की भारत विरोधी ताकत हावी होने की कोशिश कर रही है और अगर समय रहते इन्हे नहीं रोका गया तो यह बहुत खतरनाक रूप ले सकता है l 

अगर ये सच में किसान नेता होते अगर भारत के ही होते तो ये 26  जनवरी की घटना को देखकर अपना आंदोलन वापस ले लेते और नैतिक जिम्मेदारी समझकर अपनी गिरफ्तारी दे देते ये लेकिन ये ढोंगी किसान के वेश में नफरत अराजकता हिंसा बाटने का बीज ही बो रहे है किसान को अपनी मिट्टी अपने वतन से प्रेम होता है ना की हिंसा से किसान समाज का पोषक है ना की शोषक l 

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