सोनू जो निम्‍न वर्गीय परिवार में रहता है उसका जसके जीवन में उतार चढाव आता रहता है उसके परिवार में माता पिता और दो भाई और एक बहन है जो मजदूरी करके घर का खर्च चलाते है और खुशहाली का जीवन बिताते है सोनू अपने माता पिता और भाई बहन से बहुत प्यार करता है और समय समय पर अपने परिवार के लिए नए नए तोहफे लेकर आता है जिसे देखकर पूरा परिवार खुश हो जाता है एक दिन सोनू जब मजदूरी करने फैक्ट्री में जाता है तो उसे पता चलता है की उसे फैक्ट्री से निकाल दिया जाता है और वो इस बात का पता लगाने के लिए जाता है की उसे किस वजह से फैक्ट्री से यूँ अचानक निकाल दिया गया तो उसे बताया जाता है की तुमने फैक्ट्री से रूपए चुराए है इसलिए तुम्हे अभी इसी वक्त फैक्ट्री से बाहर निकाल दिया जाता है और तुम्हे अब कभी फैक्ट्री आने की जरूरत नहीं है सोनू मालिक को बहुत समझाता है लेकिन मालिक नहीं मानते और और मालिक सोनू को पुलिस में देने की बात करते है सोनू फैक्ट्री से उदास अपने घर जाता है और सोचता रहता है की कैसे वो घर वालो को बताये गए की उसे फैक्ट्री से निकाल दिया गया है और अचानक मुन्नी उसे रास्ते में मिल जाती है और पूछती है भैया आज आप इतनी जल्दी घर क्यों जा रहे हो तो सोनू बहाने बनाते हुए कहता है की आज सिर में तोडा दर्द है इसलिए वो घर जा रहा है और घर जाकर थोड़ा आराम क्र लेगा तो अच्छा लगेगा इतना कहकर वो घर की ओर बढ़ा चला जाता है ओर घर पहुंचकर वो मन ही मन ये सोचता है की वो कैसे अपने माता पिता को ये बात बटेगा की उसे फैक्ट्री से बाहर निकाल दिया गया है और इसी उधेड़बुन में वो सो जाता है और जब सब लोग रात में घर आते है और सोनू से पूछते है क्या बात है सोनू आज तुम जल्दी घर आ गए हो और उदास से लग रहे हो तो सोनू झूठी हंसी हँसते हुए कहता है की आज थोड़ा सिर में दर्द था इसलिए जल्दी आ गया और सो गया था और फिर सब हाथ पैर धोकर खाने के लिए बैठ जाते है और खाना खाकर सब सो जाते है पर सोनू को अब नींद नहीं आ रही थी वो रातभर यही सोच रहा था की ये बात अपने परिवार को कैसे बताएं पर फिर सोनू ने सोचा की क्यों ना कहीं और काम किया जाए और फिर सोनू पक्का क्र लेता है की वो कहीं दूसरी जगह काम करेगा और सुबह होते ही वो काम की तलाश में बाहर निकाल पड़ता है पर वो जहा भी जाता उसे लोग डांट के भगा देते और कहते की हमारे यहाँ चोरो के लिए कोई जगह नहीं है और वो शर्मिंदा होकर वह से चला जाता सोनू के मन में उथल पुथल होने लगा था उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे किसके पास जाए और कहाँ जाकर काम करके पैसे कमाएं उसके पास जो रूपये थे अब वो भी ख़त्म होने लगे थे और वो अब उसे इस बात की बहुत घुटन होने लगी थी की वो कैसे अपने परिवार का पालन पोषण करेगा सोनू को अब कोई रहता नहीं दिख रहा था की वो क्या करे इसलिए वो घर की तरह जा रहा था तो उसे रास्ते में एक दारु की भट्टी नजर जाती है और वो वहाँ खड़े होकर सोचने लगता है की वो क्या करे क्या ना करे और तभी उसके कदम भट्टी की तरफ बढ़ने लगते है और वो भट्टी पर जाकर दारु की बोतल लेता है और चने लेता है और सोनू वही खाट पर बैठकर दारु की बोतल को देखता रहता है और सोचता है की ये गलती है पर वो दारु के ढक्कन को खोलकर गिलास में भरता है और एक बार में पि जाता है और गाना गाते हुए वही बिहोश हो जाता है और दो चोर उसे देखते है और अपना भाई बताकर उसे कुछ दूर उठाकर एक सुनसान जगह पर ले जाते है और उसके जेब में जितना भी रूपये होते है वो निकालकर उसे वही छोड़कर भाग जाते है और जब सोनू के पिता नित्यक्रिया करने के लिए जाते है तो उनके हाथ से लोटा छूट जाता है और वो सोनू सोनू कहकर चिल्लाने लगते है और सभी लोग इकट्ठा हो जाते है और सोनू को उठाकर घर पर लेकर आ जाते है और सोनू के मुँह पर पानी की छींटे मारी जाती है पर सोनू ने ज्यादा दारु पिने की वजह से वो होश में नहीं आता है अगले दिन जब सोनू को होश आता है तब सोनू से पूछा जाता है सोनू तुमने दारु क्यों पिया तो सोनू टाल मटोल करने लगते है पर जब सोनू के पिता गुस्से में पूछते है तो वो सब कुछ कह देता है की उसने चोरी का झूठा नाम लगाकर उसे फैक्ट्री से बेईज़्ज़त करके निकाल दिया और चोरी की बात सबको पता चल गया इसलिए कोई भी उसे काम नहीं दे रहा है तो उसके पिता उसे समझते है की सोनू काम नहीं मिलना दारु पिने का कारण नहीं होता है अगर ऐसे ही परेशानी में शराब पियोगे तो अपना और अपने परिवार का नास करोगे और अगर चोरी का नाम लगाकर तुम्हे निकाल दिया गया था तो मुझे आकर बताते ना की दारु पीते सोनू के पिता द्वारा बहुत समझाने के बाद सोनू समझ जाता है और अपने पिता को वादा करता है की वो अब कभी दारु को हाथ नहीं लगाएगा 


कोई टिप्पणी नहीं